बुद्ध धम्म एक खोज (Buddha dhamma a discovery)
Hi Guys
बुद्ध धम्म एक खोज
आज हम इस आर्टिकल में जानेगे की बुद्ध धम्म एक खोज कहने का तात्पर्य क्या है ?और तथागत बुद्ध के अनुसार धरती पर रहने वाले चार (४) प्रकार के व्यक्ति कौनसे है ? वह अपना जीवन कैसे व्यतीत करते है ? और उनके इस तरह जीवन व्यतीत करने से उनके और दुसरो के जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
बुद्ध धम्म एक खोज है इसका क्या मतलब है ?
बुद्ध धम्म मनुष्य के जीवन पर अभ्यास करने के बाद बहुत गहराई मनुष्य के जीवन उसका मनोविज्ञान समझने के बाद किसी भी भावना को लेकर चाहे वो गुस्सा हो प्यार हो ख़ुशी हो कोई भी भावना या हालत को लेकर उसकी क्रिया-प्रतिक्रिया जो एक सामान्य मनुष्य की स्वाभाविक प्रक्रिया है जैसे की किसी को कटु वचन बोलने पर सामने वाले का गुस्सा हो जाना यह सहज प्रवृत्ति है एक सामान्य मनुष्य की मनुष्य का जो इतिहास रहा जो भूतकाल रहा चाहे वो सदियों का हो या उसके बचपन से लेके अब तक का उसने जो देखा सीखा उसी पर मनुष्य का स्वाभाव निर्भर करता है अगर कोई मनुष्य नकारात्मक वातावरण में पला बढ़ा वह नकारात्मक ही होगा और अगर कोई अच्छे वातावरण में पला बढ़ा वह सकारत्मक ही होगा। .
उदहारण जैसे एक बच्चा डाकू के पास पला बढ़ा सम्भवता उसमे वही गुण आएंगे चोरी चकारी इत्यादि। . अगर कोई बच्चा संत के पास पला बढ़ा वह बड़ा होकर अच्छी बातें करेगा चोरी चकारी से दूर शिक्षा और ज्ञान की बातें। aisi ही मनुष्य के जीवन का व्यहवार का गहन गहराई से अभ्यास करने पर मनुष्य मात्र के लिए सच्चे ज्ञान और सच्ची शांति जीवन जीने की कला सीखने की खोज को ही बुद्धा का धम्म कहते है इसी लिए हम कहते है की यह एक खोज है।
चलिए समझते है एक छोटे उदहारण से जिससे आपको समझने में आसानी हो
बुद्ध के कहे अनुसार धरती पर रहने वाले उन चार (४) प्रकार के व्यक्तियों बारे में वो कौन है
बुद्ध ने एक बार कहा था कि दुनिया में चार प्रकार के व्यक्ति होते है
1 पहला व्यक्ति जो खुद का और दूसरों का अच्छा नहीं करता वो व्यक्ति जो खुद तो अंधकार में जीता है और दुसरो को भी अंधकार में लेके जाता है
2 दूसरा व्यक्ति जो खुद का अच्छा न सोच के दूसरो के अच्छे के लिए जीता है वो व्यक्ति खुद तो अंधकार में जीता है मगर दूसरों को प्रकाश की और ले जाता है
3 तीसरे प्रकार के व्यक्ति जो खुद के अच्छे के लिए जीते है है और दूसरों के अच्छे के लिए नहीं जीते वह व्यक्ति खुद प्रकाश में रहते है मगर दुसरो को अंधकार में रखते है
और
4 चौथे व्यक्ति जो खुद का तो अच्छा करते है बल्कि दूसरों का भी अच्छा करने के लिए जीते है
ऐसा व्यक्ति खुद तो प्रकाश की तरफ जा रहा है और दुसरो को भी ले जाता है
स्वर्ग में जाने वाले,मोक्ष मिलने की इच्छा वाले, जातिप्रथा और सामाजिक असमानता का भेदभाव रखनेवाले बुद्ध को अपने संघ में नहीं चाहिए थे, क्यों की ये साडी बाटे मिथ्या है भेदभाव पूर्ण है
इसलिए उन्होंने अपने संघ में ऐसी किसी भी व्यवस्था को निर्मित नहीं किया जिसमे भेदभाव हो।
बुद्ध को सभी मनुष्य और प्राणी मात्र के साथ समता पूर्वक रहने वाले जातीप्रथा और सामाजिक असमानता का भेदभाव न करने वाले सभी मनुष्यो के साथ साथ रहने वाले लोग चाहिए थे इसीलिए उनको अपने धम्म में एवं संघ में भिक्खु एवं समानता की शिक्षा देने वाले लोगो को गुरु एवं संघ के अनुयायी के तौर पर निर्मित किया
किसी भी प्रकार के भगवान या ईश्वर वाद में न मानने वाले आत्मा , स्वर्ग-मोक्ष और पूर्वजन्म में न मानने वाले बुद्ध का तत्वज्ञान न तो इतना सरल है और न ही इतना कठिन। यही बुद्ध का माध्यम मार्ग है।
जो व्यक्ति सिर्फ मनुष्य बन कर रहना चाहता है उसके लिए न कोई चमत्कार है न ईश्वर। सरल सहज मनुष्य शुन्य ता की और क्यों की सर्जन हमेशा शून्य से होता है
वही शुन्य किसी भी संख्या के पीछे लग जाये तो उसका मूल्य बढ़ा देता है . इसी liye जो सरल है मध्यम है वही बुद्ध है वही मनुष्य है , यही बुद्ध ने कहा है अतः दिप भवः
खुद के दीपक खुद बनिए। सरल बनिए माध्यम मार्ग से अपनी ज़िन्दगी जिए क्यों की हर इंसान में बुद्ध है ज़रूरत है तो माध्यम मार्ग पर चल कर उस बुद्ध को बहार लाने की ज्ञान को अर्जित करने की दृष्टा बनने की। .......
अगले आर्टिकल में ऐसे आध्यात्मिक बातें जानेंगे रोचक तथ्य और सही अध्यात्म का माध्यम मार्ग केसा होता है। क्या हे सही आध्यात्म जो धर्म नहीं हे न ही कोई ईश्वर है। नहीं कोई विधि न मन्त्र जप न हवन न कोई कर्म काण्ड। . जानते hai अगले आर्टिकल में बने रहिये हमारे साथ जुड़ जाइये इस आध्यात्मिक सफर के आनंद के साथ।
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