what is mind in psychology


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hello freinds

आज हम इस आर्टिकल मे मन के मनोविज्ञान के बारे मे जानेगे

what is mind in psychology

आप ने कई बार अनुभव किया होगा की कभी आपको कोई काम करने की ईछा  ना हो तो आप कहते है की आज मेरा काम करने का मन नहीं है या तो मेरा मन नहीं कर रहा,लेकिन यह मन क्या है?मेरे विचार से तो जिसकी कोई  व्याकया या पारिभाषा नहीं वह मन है ।

जेसे किसी व्यक्ति से पूछा जाय की सागर क्या है तो कहेगा यह है सागर जहा दूर-दूर तक कोई भी जमीन का टुकड़ा ना दिखे और चारो तरफ पानी ही पानी हो उसे सागर कहेगे ,लेकिन उस व्यक्ति से पुछे की एसे नहीं उसको विस्तार से बताओ तो कोई भी ना बता पाएगा क्यूकी जिसका  कोई सटीक माप दंड ही नहीं उसकी परिभाषा या व्याकया क्या होगी एसे ही मन की भी कोई परिभाषा नहीं है ,मन ना ही  कोई हवा है ,सोच है ,विचार है, वस्तु है ,व्यक्तित्व है ना ही हमारे शरीर का कोई अंग है ,कोई तर्क ,प्रक्रिया ,अवस्था ,अपने अंदर उत्पन्न हुई बेचेनी ,आत्मा ,परमात्मा,भगवान है जिसे हम मन कह सके  

इस पर वैज्ञानिको ने काफी रिसर्च की है ,बढ़ते हुए इस आधुनिकयुग,टेक्नोलोजी और साइन्स ने मन के बारे मे कई सारी रिसर्च की है और कितबे लिखी है लेकिन अभी भी वैज्ञानिक मन की खोज से बहुत दूर है  मन के बारे मे इतनी खोजे हो चूकी है की इस आधुनिकयुग के समय मे टेक्नोलोजी और साइन्स के साथ साइकॉलोजी  की भी अलग एक अपनी दुनिया बन चुकी है


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आइए समजते है साइकॉलोजी के हिसाब से मन क्या है

मन को आधुनिक और सरल भाषा मे कहा जाय तो हमारा शरीर एक कम्प्युटर की तरह वर्क करता है एक उदाहरण से समजते है हमारा शरीर जिसे हम कम्प्युटर कहेगे ,उसमे लगा हुआ हार्डवेर मदरबोर्ड यानि हमारा दिमाग जो की दूसरे हार्डवेर यानि शरीर के अंग को नियंत्रित करता है लेकिन इस मदरबोर्ड मे सॉफ्टवेर ना हो तो सही से वर्क कर सकता है ? नहीं इसी तरह हमारे शरीर मे मन एक सॉफ्टवेर की तरह काम करता है


मन हमारे दिमाग की उस शक्ति को  कहते है जो मनुष्य को चिंतन ,स्मरण,निर्णय,बुद्धि,भाव,पंच्चेंद्रिय ,व्यवहार,अंतरदृष्टि इन सब मे सक्षम बनती है सामान्य भाषा  मे मन शरीर का वह हिस्सा या प्रक्रिया है जो किसी भी ज्ञान को ग्रहण करने ,सोचने और समजने का काम करता है हमारे दिमाग के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यो का नियंत्रण होता है जो हमारे मन से होकर दिमाग तक पोहचता है इसीलिए मन को शरीर का मालिक भी कहते है इसका मुख्य कार्य ज्ञान,बुद्धि,तर्क,स्मरण,विचार,निर्णय,व्यक्तित्व इन सबका नियंत्रण करना है

सायकोलोजी मे मन को चेतना के साथ जोड़ा गया है जिसके दो प्रकार है

1  चेतन मन  (conscious mind )

2  अचेतन मन (sub-conscious mind)

आइए  चेतन मन और अचेतन मन के बारे मे जानते है जिससे आपको समजने मे आसानी हो 

जब भी हम जागृत अवस्था मे होते है तब  चेतन मन काम करता है लेकिन हम जब भेभान होते है या गहरी  नीद मे होते है तब हमारा अचेतन मन काम  करता है


 चेतन मन (conscious mind )

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 चेतन मन संवेदना ,हलनचलन,विचार,तर्क,Intelligent quotient(I.Q),निर्णय,एक्शन,पसंदगी पर नियंत्रण का काम  करता है

1 संवेदना : हमारी जो पाँचइंद्रिया है ,उस पर  चेतन मन का नियंत्रण रहेता है जेसेकी देखना,सुनना,स्मेल,स्वाद और स्पर्श का अनुभव करना


2 हलनचलन : हम सब के हलनचलन और बोलने के स्नायु पर  चेतन मन नियंत्रण करता है  जो हमारी रोज की दिनचर्या के काम करती है

 

3 विचार : हमारा मन जब चेतन अवस्था मे होता है तब लगातार विचारशील रेहता है हमारे मन मे आने वाले पॉज़िटिव और नेगेटिव विचार को हम  नियंत्रण कर सकते है क्यूकी हर एक काम की शुरुआत विचार से होती है


4 तर्क : जेसे की हमारे  चेतन मन मे लगातार जो भी विचार आते है उसके साथ तर्क भी करते है कब ?, कहा ?,केसे ? और क्यू ? मन मे ऐसे सवाल पेदा होना ही तर्क है


5 Intelligent quotient(I.Q) : हम बहुत बार देखते है की कुछ लोगो का I.Q ज्यादा तो कुछ लोगो का कम होता है हमारे यहा एसी धारणा बन चुकी है की इंसान का I.Q जितना ज्यादा होगा उतना ही उसको सफलता मिलने के चान्स ज्यादा होगे जब की यह I.Q स्कूल-कॉलेज के अभ्याश के समय मे ज्यादा बढ़ता है लेकिन जीवन मे सुखी और समृद्ध होने के लिए सिर्फ I.Q काफी नहीं है Emotional quatient (E.Q) का भी होना जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी Spiritual quotient (S.Q) का होना जरूरी है


6 निर्णय : कोई भी काम करने से पहले हमारा  चेतन मन निर्णय करता है वो निर्णय हमारे विचार ,तर्क और अनुभव से लेते है जो  चेतन मन द्वारा लेते है


7 : एक्शन : जब हम निर्णय लेते है उसके मुताबिक हम एक्शन के साथ काम की शुरुआत करते है मतलब की उस दिशा की तरफ हम काम के द्वारा आगे बढ़ते है और किए हुये काम से हमे  परिणाम मिलता है


8 : पसंदगी : हमारे जीवन मे कई बार पसंदगी का टाइम आता है जो हम  चेतन मन के द्वारा करते है जेसे की क्या खाना ? क्या पहना ? केसे घर मे रहेना ? कोनसा धंधा करना ? और केसे जीवनसाथी की पसंदगी ? करना एसे पसंदगी का समय हमारे सामने कई बार आते है जो  चेतन मन के उपयोग  से पसंदगी करते है


अचेतन मन (sub-conscious mind)

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अचेतन मन संवेदना ,हलनचलन,अंतरआत्मा की आवाज़,टेलीपथी,Emotional quotient(E.Q),Spiritual quotient(S.Q) पर नियंत्रण का काम  करता है

1 संवेदना : संवेदना पर खास तौर पर  चेतन मन का नियंत्रण होता है लेकिन जब हम सोये हुए होते है तब कुछ हद तक हमारी संवेदना ए चलती रहेती है जेसे की जब हम सोये हुए  हो और फोन की रिंग बजे तो सुनकर उठ जाते है ,अगर कोई जलने की स्मेल आए तो भी हमे पता चलता है और उठ जाते है यह इसका प्रमाण है की जब  चेतन मन सोया हुआ हो तो भी अचेतन मन का नियंत्रण रहेता है ।


 2 हलनचलन : हलनचलन के स्नायु भी खास तौर पर  चेतन मन के नियंत्रण मे होते है लेकिन  चेतन मन के  सो  जाने के बाद अचेतन मन ही नियंत्रण करता है एसा ना होता तो नीद मे मछर काटने पर आंखे खोले बिना या उठे बिना अपना हाथ उसको उड़ाने के लिए ना उठता


3 अंतरात्मा की आवाज़ : आपने जीवन मे कभी अनुभव किया होगा की आप कोई गलत काम करने का सोचते है और अंदर से अंतरात्मा से आवाज़ आती है की यह काम सही नहीं है इसे नहीं करना चाइए यह आवाज़ अंतरात्मा की आवाज़ है जो अचेतन मन से आती है जो हमे सही और गलत के निर्णय मे सहायता करती है


4 टेलीपथी : हम सब का एक सामान्य अनुभव है की जब एकदम तीव्र ईछा से किसी से मिलने की ईछा हो तो एसी सिचुएशन पेदा  होती है की वह व्यक्ति घर पर आयेगा या उनका फोन आयेगा इसका मतलब की अगर किसी भी व्यक्ति को तीव्र ईछा के साथ याद किया जाय तो उस व्यक्ति को भी याद आती है ,जो हम सोचते है वही दूर बेटा व्यक्ति भी सोचता है यह और कोई नहीं अचेतन मन है   

  

5 Emotional quotient (E.Q): Emotional quotient  मतलब आपकी भावनाओ पर आपका नियंत्रण जो अचेतन मन करता है ,हम जीवन  मे कितने भी बुध्हिशाली क्यू ना हो लेकिन हमारा E.Q कम हो तो भावनाओ मे आकार हम कुछ गलत कर बेठते  है जो हमारा I.Q ज्यादा होने पर भी असफलता की और ले जाता है इसीलिए I.Q के साथ E.Q भी होना जरूरी है जो अचेतन मन नियंत्रण करता है


6 Spiritual quotient (S.Q) : Spiritual quotient मतलब हमारे सिद्धान्त,आदर्श,मूल्य हमारा सदाचारी और निर्भय व्यक्तित्व वाला वर्तन । S.Q का मूल्य और उपयोग E.Q और I.Q से बहुत ज्यादा है आध्यात्मिक गुरु का S.Q बहुत ज्यादा होता है इसीलिए सरल और सुखी जीवन जीते है ज़्यादातर लोग I.Q की ही चिंता करते रहते है E.Q और S.Q के बारे मे कोई सोचता ही नहीं है या तो वो इस से अज्ञान है 


written by Let's Be Positive 


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